Tuesday, April 16, 2024
bharat247 विज्ञापन
Homeअपराध समाचारसाहित्य वही जो 'समाज में जागरूकता लाये : डॉ.गौड़

साहित्य वही जो ‘समाज में जागरूकता लाये : डॉ.गौड़

- विज्ञापन -

भारतीय भाषाओं के साहित्य में सामाजिक मूल्यों की अभिव्यक्ति’ विषय पर सूर्या संस्थान की ओर से 16 और 17 सितम्बर को अंडमान-निकोबार में दो दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भाषाई लेखक एवम साहित्यकार अपने विचार साझा करेंगे। सूर्या संस्थान के उपाध्यक्ष व् दिल्ली पब्लिक लायब्रेरी बोर्ड के चेयरमैन डॉ.रामशरण गौड़ ने बताया कि इस संगोष्ठी के लिए जब अंडमान का चयन किया जा रहा था तब वीर सावरकर ध्यान के केंद्र में थे। दरअसल व्वेर सावरकर के कारण ही इस क्षेत्र में हिंदी का व्यापक विकास हुआ और हिंदी राजभाषा बनी। वीर सावरकर ने जेल में भी अन्य कैदियों को हिंदी सिखाई। इतना ही नहीं यही वह स्थान भी है, जहाँ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने स्वराज की स्थापना की। इस स्थान के ऐतिहासिक व् भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के महत्व को रेखांकित करने और लेखकों, साहित्यकारों को उससे परिचित करवाना एक कारण था।

डॉ.गौड़ ने बताया कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में जो भाषाई मूल्यों की एकता और आतंरिक जुड़ाव है उसे लोगों के सामने लाया जाए। इस संगोष्ठी में हिंदी के साथ तेलगू,तमिल,उड़िया और कन्नड़ भाषा को भी रखा गया है ताकि इन भाषाओं में जो सामाजिक मूल्यों की अभिव्यक्ति होती है,उनमें एकरूपता आये जो समाज के लिए सत्यम, शिवम् सुन्दरम को सार्थक करे।

एक सवाल के जवाब में डॉ.गौड़ ने बताया कि वही साहित्य समाज और राष्ट्र के विकास का आधार बन सकता है,जिसमें प्रेम,सौहार्द,सहिष्णुता,संबंधों में आत्मीयता के गुण अभिव्यक्त हों। उस साहित्य को पढ़कर मनुष्य के भीतर चेतना और सामाजिक संवेदना उत्पन्न हो और उसमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास करे।
क्या समाज की बुराईयाँ आज साहित्य में भी दिख रही हैं? यह पूछे जाने पर डॉ.गौड़ कहते हैं कि प्रेमचंद ने कहा था कि जिस तरह का समाज होता है, उसी तरह का साहित्य चलन में आता है। यदि बात अंग्रेजी और अंग्रेजियत की है तो निश्चित रूप से इससे भारतीय भाषाओं को संघर्ष करना पड रहा है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में बेहतर काम नहीं हो रहा, ज़रुरत उस काम को सबके सामने लाने की है। ऐसी संगोष्ठियाँ नवोदित लेखकों के काम को भी पहचान दिलाने का काम करती है। हमारी कोशिश है कि अधिक से अधिक लेखक सामने आयें,उनके साहित्य से समाज प्रगति पथ पर आगे बढे। कुछ समय पहले हमने गुवाहाटी में एक साहित्यिक आयोजन किया जिसकी भरपूर सराहना हुयी। दरअसल सकारात्मक प्रयास के बेहतर परिणाम सामने आते हैं हमें कोशिश करते रहनी चाहिए।

- विज्ञापन -
Bharat247
Bharat247https://bharat247.com
bharat247 पर ब्रेकिंग न्यूज, जीवन शैली, ज्योतिष, बॉलीवुड, गपशप, राजनीति, आयुर्वेद और धर्म संबंधित लेख पढ़े!
संबंधित लेख

3 COMMENTS

Comments are closed.

- विज्ञापन -

लोकप्रिय लेख

- विज्ञापन -