Thursday, April 25, 2024
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23 साल बाद दिल्ली पुलिस के हेड कान्सटेबल को मिला इंसाफ

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सुप्रीम फैसला: प्रमोशन पर बढ़ा था पांच रुपये वेतन, 23 साल बाद दिल्ली पुलिस के हेड कान्सटेबल को मिला इंसाफ

साल 1995 में तंदूर हत्या मामले में सबसे पहले मौके पर पहुंचने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्सटेबल अब्दुल नजीर कुंजू को आखिरकार न्याय मिल गया है। 23 साल बाद कुंजू ने अपने विभाग के खिलाफ दायर मामला जीत लिया है।

दरअसल, मामले में मुख्य गवाह होने और बेहतरीन प्रदर्शन करने के चलते कुंजू का प्रमोशन किया गया था लेकिन सैलरी में सिर्फ पांच रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। अब इस मामले में कुंजू ने विभाग के खिलाफ जीत दर्ज की है और कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को दो महीने के अंदर उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें सभी लाभ देने के निर्देश दिए हैं।

इस मामले में कुंजू की गवाही सबसे ज्यादा अहम थी क्योंकि वो कुंजू ही सबसे पहले मौका-ए-वारदात पर पहुंचे थे। इस मामले में दिल्ली युवा कांग्रेस के अध्यक्ष सुशील शर्मा अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या करने और फिर लाश को एक रेस्त्रां के तंदूर में जलाने के आरोप में दोषी पाया गया था। 

एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कुंजू ने बताया कि वह अपने विभाग की कार्यवाही से निराश थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बेहद संतुष्ट हैं। कुंजू ने बताया कि 1995 के तंदूर हत्या मामले में मेरे बेहतर प्रदर्शन की वजह से मेरा प्रमोशन तो हुआ लेकिन इंक्रिमेंट के तौर पर मेरा वेतन सिर्फ पांच रुपये बढ़ाया गया। उन्होंने आगे बताया कि पांचवें वेतन आयोग के बाद मेरा वेतन मेरे जूनियर से भी कम था। 

कुंजू ने बताया कि इस मामले में उन्होंने अपने एक वरिष्ठ अधिकारी से बात की लेकिन वहां भी कोई बात नहीं बनी, इसलिए आखिर में मैंने 2006 में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) का रुख किया। कुंजू ने बताया कि साल 2011 में कैट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन उनके विभाग ने फैसले को मानने की जगह दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। 

कुंजू अपने विभाग के इस व्यवहार से इतने टूट गए थे कि उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया और 2012 में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कुंजू ने बताया कि उन्होंने अपने विभाग से स्वैच्छिक रिटायरमेंट ले लिया। 

कुंजू ने बताया कि मैं ही एक चश्मदीद गवाह था और मुझे अपना बयान बदलने के लिए दस लाख रुपये का ऑफर भी मिला था लेकिन मैंने मना कर दिया, इसके बाद मुझे कई तरह की धमकियां मिलने लगीं। लेकिन मेरे विभाग ने मेरी बहादुरी और मेरे काम की स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मैंने दिल्ली पुलिस छोड़ दी।

कुंजू ने बताया कि साल 2013 में दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला भी मेरे पक्ष में आया था लेकिन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कुंजू के वकील अनिल सिंघल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कुंजू के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है और दिल्ली पुलिस को कुंजू की वरिष्ठता के तौर पर एरियर और सभी लाभ देने के निर्देश दिए हैं।

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