‘दिल्ली कोरोना’ एप पर बेड और वेंटिलेटर की सूची डालने के बाद कुछ लोग मेरे पर टूट पड़े हैं, जैसे हमने कोई गुनाह कर दिया – अरविंद केजरीवाल

-मुनमुन प्रसाद श्रीवास्तव

मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अस्पताल में बेड की ब्लैक मार्केटिंग क्यों होती है, क्योंकि जनता को पता ही नहीं है कि किस अस्पताल में कितने बेड खाली हैं और कितने भर गए? इसलिए वह अपने हिसाब से ब्लैक मार्केटिंग कर रहा है। यह ब्लैक मार्केटिंग सिर्फ दो-चार अस्पताल ही कर रहे हैं, सभी नहीं कर रहे हैं। सभी अस्पताल बहुत अच्छे हैं, सिर्फ दो-चार ही हैं, जो गलत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने सोचा कि इन सभी जानकारियों को पारदर्शी कर दें और जनता को बता दें कि किस अस्पताल में कितने बेड हैं और कितने खाली हैं, कितने वेंटिलेटर है और कितने खाली हैं, तो जनता को सब पता चल जाएगा और फिर कोई गड़बड़ नहीं कर सकेगा। इसी उद्देश्य से पिछले मंगलवार को हम लोगों ने दिल्ली सरकार का ‘दिल्ली कोरोना’ एप लांच किया और सभी अस्पतालों की सूची उस पर डाल दी कि किस अस्पताल में कितने बेड हैं और कितने खाली हैं। इसके बाद बवाल शुरू हो गया। मेरे उपर कुछ लोग ऐसे टूट पड़े कि जैसे हमने कोई गुनाह कर दिया है। ऐसा लगा कि हमने एप पर यह सूचना डाल कर कोई गड़बड़ कर दी। अब लोगों को पता है कि किस अस्प्ताल में बेड खाली है, लेकिन वह बेड नहीं दे रहा है।

मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इन बेड्स को हम अपडेट नहीं कर रहे हैं। अस्पतालों को ही हमने पासवर्ड दिया हुआ है। एप पर वह अस्पताल खुद अपडेट कर रहा है कि मेरे यहां कितने बेड खाली है और फिर कहता है कि बेड नहीं है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चंद लोगों ने मिल कर माफिया बनाया हुआ था, इसको तोड़ने में थोड़ा समय लग रहा है। ऐसे चंद लोग एकदम से प्रतिक्रिया कर रहे हैं। ऐसे दिल्ली के चंद अस्पताल काफी पाॅवरफूल (ताकतवार) हो गए हैं, उनकी अन्य पार्टियों के अंदर पहुंच है और उपर तक पहुंच है। इन चंद अस्पतालों ने धमकी दी है कि हम कोरोना के मरीज को नहीं लेंगे, जो करना है, कर लो। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐसे अस्पतालों को चेतावनी देते हुए कहा कि कोरोना के मरीज लेने ही पड़ेंगे। आप लोगों को दिल्ली में पैसे कमाने के लिए अस्पताल नहीं बनवाया था। आपका अस्पताल इसलिए बनवाया था कि आप दिल्ली के लोगों की सेवा करेंगे। ऐसी महामारी के दौर में अधिकतर अस्पताल सेवा कर रहे हैं और उनका साकारात्मक व्यवहार है। सिर्फ दो-चार अस्पताल इस गुमान में हैं कि वो दूसरी पार्टी में बैठे अपने आकाओं के जरिए कुछ करवा लेंगे और वो अपनी ब्लैक मार्केटिंग कर लेंगे।

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