कब होगी हमारी असली दीवाली

दीपावली भारत वर्ष का महापर्व है !!दीपावली अर्थात ‘दीपों की ‘आवली’ , आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । मतलब ऐसा त्यौहार जो हमारे जीवन में उजाला कर दें , माया जनित समस्याओं का निदान कर दे !! यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है। हर प्रांत या क्षेत्र में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीढ़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपने घरों का कोना-कोना साफ़ करते हैं, नये कपड़े पहनते हैं। मिठाइयों के उपहार एक दूसरे को बाँटते हैं, एक दूसरे से मिलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनायी जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आतिशबाजी की जाती है।


दीपावली और हमारा व्यक्तिगत जीवन

मनुष्य जीवन अपने आप में किसी संग्राम से कम नही है , हमारे अन्दर की बुराइयाँ रावण और हमारी अच्छी आदतें श्री राम हैं ! हमारी बुद्धि सीता हैं.बुद्धि का अच्छाइयों से अर्थात श्री राम से शाश्वत सम्बन्ध है , किन्तु बुराइयों ने हमारी बुद्धि का रावण बनकर अपहरण कर लिया है ,जिस दिन हम सच -और झूठ की ये जंग जीत जायेंगे ,वो दिन हमारे जीवन की असली दीपावली होगी !

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