मैं ईवीएम हूँ: हर अग्नि परीक्षा के लिए तैयार हूँ!!
-मुनमुन प्रसाद श्रीवास्तव
मैं ईवीएम हूं।आजकल मेरे चर्चे उत्तर प्रदेश और पंजाब चुनाव हारे हुए नेताओं की गली में खूब हो रहे हैं। कोई कहता है मेरे साथ छेड़खानी हुई हुई है। कोई कहता है कि चुनाव जीतने के लिए दूसरी पार्टी ने मेरा शीलभंग ही कर दिया। वाह रे सियासत! जब मैं नेताओं के मनोनुकूल परिणाम देती हूँ, फटाफट चुनाव नतीजे आ जाते हैं, तो मेरी शान में कोई नेता कभी कसीदे नहीं पढता। दो मीठे बोल नहीं बोलता। वहीँ जब रिजल्ट विपरीत आता है, तो आजकल स्यापा ऐसे हो रहा है मानो उनकी हार की ज़िम्मेदार मैं ही हूँ। अरे भाई! यह लोकतंत्र है और उसमे चुनाव का माध्यम मैं हूँ। मेरी बदौलत केजरीवाल दिल्ली के, अखिलेश व मायावती यूपी के सीएम बने थे। बिहार में लालू-नीतीश की जोड़ी की लाज मैंने ही बचाई। गंगा मईया ने मोदी को बनारस ज़रूर बुलाया लेकिन उनकी जीत तब सुनिश्चित हुई जब वोटरों ने उनके पक्ष ईवीएम का बटन दबाया। उस वक्त मैं बहुत अच्छी थी। आज जब कुछ नेता लोग अपने काम के चलते सत्ता गवाँ बैठे, तो मेरे चरित्र पर ही उंगली उठा रहे हैं। आप ही बताइए, यदि वे और उनकी पार्टी जनता को पसंद। नहीं आये तो क्या इसके लिए भी मैं कसूरवार हूँ? बताईये, यदि मैं बेवफा होती, तो डॉ. मनमोहन सिंह कभी प्रधानमंत्री बन पाते, वह भी दो बार। केजरीवाल यह क्यों भूलते हैं वह मेरी बदौलत आज दिल्ली सरकार पर काबिज़ हैं। पंजाबियों ने उनके कारनामे पर झाडू का बटन नहीं दबाया तो मैं कुलटा हो गयी। इन्हें कैसे बताऊं चरित्रहीन मैं नहीं ये लोग खुद हैं. खैर, मुझे अपने देश की जनता पर भरोसा है। चुनाव आयोग पर भी है। मैं सीता की तरह अग्नि परीक्षा देने को तैयार हूँ, क्यूंकि मैं जानती हूँ मेरा दामन बेदाग़ है। इसलिए हाथ कंगन को आरसी क्या…मेरी तलाशी ले लिया जाये। मेरे अंग अंग का एक्सरे करवा लिया जाये और अगर मैं चरित्रहीन साबित हुई तो मेरा अस्तित्व मिटा दिया जाये। वैसे मुझे पता है हर जांच में मैं खड़ी उतरूंगी। चुनाव आयोग से मेरी गुजारिश है कि अगर मेरा दामन साफ़ मिला तो वह उन नेताओं के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगा दे, जिन्होंने मेरी इज्ज़त बीच चौराहे पर नीलाम करने का काम कर, देश और दुनिया में मेरी मर्यादा को ठेस पहुंचाई है
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)