क्या इस भईया दूज पर यमुना से मिलने आएंगे यमराज?
-पंडित गोकुलेश पांडेय
यमपुरी में अपनी व्यस्तता के कारण बहुत लंबे समय तक यमराज अपनी बहन यमुना से नहीं मिल पाए थे। यमुना ने अपने भाई को मिलने के लिए संदेश भेजा। बहन के आग्रह और उसकी व्याकुलता को देखते हुए आए थे यमराज। इस बार क्या यमुना से मिलने पहुंचेंगे फिर यम ने क्या किया?
कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को भईया दूज यानि यम द्वितीया का त्योहार मनाया जाता है। पंचदिवसीय दीपावली पर्व का यह पांचवा और अंतिम त्यौहार होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन अगर मनुष्य जीवन दायिनी नदी मां यमुना की आराधना करे, तो यम -पाश से मुक्त हो जाता है!!
पौराणित मान्यताओं का अनुसार यमुना यमपुरी के राजा यमराज की छोटी बहन हैं।शास्त्रानुसार स्वयं यमराज ने यमुना को यह वरदान दिया था। सूर्य का पुत्र यम अपनी बहन यमुना से बहुत प्यार करते हैं। परंतु यमपुरी में अपनी व्यस्तताओं के कारण बहुत लंबे समय तक अपनी बहन से नहीं मिल सके, माँ यमुना ने अपने भाई को मिलने आने हेतु संदेश भेजा। अपनी बहन के इस आग्रह और उसकी व्याकुलता को देखते हुए यम अविलंब विश्राम घाट यमुना के तट पर पहुँच गये। शास्त्र कहते हैं कि वो दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया थी और उसी दिन से भाई दूज का पर्व मनाना शुरू हो गया ।
माँ यमुना सूर्य की पुत्री ,यम की बहन और भगवान श्री कृष्ण की पटरानी हैं |
श्री कृष्ण की अद्भुत और मनोहारी लीलाओं की साक्षी बनने एवं उनकी सेवा करने के उद्देश्य से वो इस धरा धाम पर अवतरित हुई थीं। लेकिन आज प्रदूषण के चलते वो विलुप्त होने की कगार पर हैं। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार दिल्ली में यमुना का पानी पीना तो दूर ,नहाने योग्य भी नही है | शहर के 22 गंदे नालों का पानी सीधे यमुना नदी में गिरता है, मतलब की इस पतित पावनी नदी में सिर्फ दिल्ली से लाखों लीटर गंदगी रोज़ डाली जाती है , ऐसा प्रतीत होता है की प्रशासन और समाज ने माँ यमुना को नष्ट करने की कसम खा रखी है |
द्वापर युग में कभी भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का मर्दन करके उसके जहर से यमुना की रक्षा की थी , किन्तु आज का प्रदूषण रूपी जहर उस नाग के जहर से भी ज्यादा खतरनाक है। आज शायद ही कृष्ण यमुना के तट पर बंसी बजाना पसंद करें।
कितनी हैरानी की बात है कि पश्चिमी देशो एवं शेष विश्व के लिए नदियां महज़ एक जल स्त्रोत या फिर पर्यटन हेतु हैं,फिर भी उनको साफ -सुथरा रखा जाता हैं। हमारे देश में तो गंगा-यमुना को मां-बहन का दर्जा देकर पूजनीय माना गया है। फिर भी वे इतनी दूषित हैं। आखिर क्यों? क्या इस भईया दूज यमुना से मिलने आएंगे यमराज? वह यमुना जो आज मैला ढोते नाले में तब्दील हो चुकी है, अपनी उस प्यारी बहन यमुना से मिलने आएंगे यमपुरी के महाराज?
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