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जानें, क्यों कुछ लोगों को छींक बहुत तेज, किसी को एक दम धीमीं, किसी को मध्यम आवाज के साथ आती है

छींकने की आवाज मुख्य रूप से छींक के दौरान निकलने वाली हवा की मात्रा और दिशा पर निर्भर करती है। जब कोई व्यक्ति छींकता है, तो उसके फेफड़ों से हवा तेजी से नाक और मुंह से बाहर निकलती है। यह हवा नाक के मार्ग, गले और मुंह के माध्यम से गुजरते समय कंपन पैदा करती है। यही कंपन छींक की आवाज का कारण बनता है।

छींक की आवाज को प्रभावित करने वाले कुछ कारक निम्नलिखित हैं:

  • हवा की मात्रा: 
    छींक के दौरान निकलने वाली हवा की मात्रा जितनी अधिक होगी, छींक की आवाज उतनी ही तेज होगी।
  • हवा की दिशा: 
    अगर हवा सीधे नाक से बाहर निकलती है, तो छींक की आवाज अधिक तेज होगी। अगर हवा नाक के मार्ग से होकर मुंह से बाहर निकलती है, तो छींक की आवाज कम तेज होगी।
  • नाक और मुंह का आकार: 
    नाक और मुंह का आकार भी छींक की आवाज को प्रभावित कर सकता है। अगर नाक और मुंह का आकार बड़ा है, तो छींक की आवाज अधिक तेज होगी। अगर नाक और मुंह का आकार छोटा है, तो छींक की आवाज कम तेज होगी।

कुछ लोगों को छींक बहुत तेज आती है क्योंकि उनके फेफड़े अधिक मात्रा में हवा को पकड़ सकते हैं। इसके अलावा, उनके नाक और मुंह का आकार भी बड़ा हो सकता है। कुछ लोगों को छींक एकदम धीमी आती है क्योंकि उनके फेफड़े कम मात्रा में हवा को पकड़ सकते हैं। इसके अलावा, उनके नाक और मुंह का आकार छोटा हो सकता है। कुछ लोगों को छींक मध्यम आवाज के साथ आती है क्योंकि उनके फेफड़े और नाक-मुंह का आकार औसत होता है।

छींक की आवाज को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य कारक निम्नलिखित हैं:

  • छींक का कारण: 
    अगर छींक किसी एलर्जी या संक्रमण के कारण आ रही है, तो छींक की आवाज अधिक तेज हो सकती है।
  • छींक की आवृत्ति: 
    अगर छींक बार-बार आ रही है, तो प्रत्येक छींक की आवाज कम तेज हो सकती है।
  • व्यक्ति की उम्र: 
    बच्चों की छींक की आवाज आमतौर पर वयस्कों की छींक की आवाज की तुलना में अधिक तेज होती है।

छींक की आवाज एक व्यक्तिगत विशेषता है और इसका कोई विशिष्ट स्वास्थ्य महत्व नहीं है।

छींक की आवाज के बारे में कुछ और रोचक तथ्य:

  • छींक की आवाज की तीव्रता 110 से 180 डेसिबल तक हो सकती है। 
    यह आवाज एक राइफल की गोली की आवाज से भी तेज हो सकती है।
  • छींक के दौरान निकलने वाली हवा की गति 100 से 160 मील प्रति घंटे तक हो सकती है। 
    यह गति एक गेंदबाज द्वारा फेंकी गई गेंद की गति से भी अधिक है।
  • छींक के दौरान निकलने वाली हवा में नाक और गले से निकलने वाले द्रव और कण भी होते हैं। 
    इन कणों में धूल, मिट्टी, पराग, एलर्जी के कण, और यहां तक ​​कि वायरस और बैक्टीरिया भी शामिल हो सकते हैं।

छींक को रोकना क्यों खतरनाक है:

छींक एक स्वैच्छिक क्रिया नहीं है, बल्कि यह एक प्रतिवर्ती क्रिया है। छींक को रोकने की कोशिश करने से कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:

  • कान में दर्द: 
    जब छींक को रोका जाता है, तो हवा का दबाव कान में जा सकता है, जिससे दर्द हो सकता है।
  • आंखों में चोट: 
    जब छींक को रोका जाता है, तो आंखों के आसपास की मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं, जिससे आंखों में चोट लग सकती है।
  • नाक में चोट: 
    जब छींक को रोका जाता है, तो नाक के मार्ग में दबाव बढ़ सकता है, जिससे नाक में चोट लग सकती है।
  • फेफड़ों में चोट: 
  • जब छींक को रोका जाता है, तो फेफड़ों में दबाव बढ़ सकता है, जिससे फेफड़ों में चोट लग सकती है।

इसलिए, अगर आपको छींक आ रही है, तो उसे रोकने की कोशिश न करें। इसे आराम से आने दें।

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