Wednesday, May 8, 2024
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जूतों से पीना “Drinking From Shoes”

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खेल में, “जूतों से पीना” एक चुनौती है जो अक्सर एक मजाक के रूप में दी जाती है। यह आमतौर पर किसी टीम के सदस्य द्वारा किया जाता है जो किसी अन्य टीम के सदस्य को अपमानित करना या परेशान करना चाहता है।

चुनौती को पूरा करने के लिए, खिलाड़ी को अपने जूतों में पानी भरना होगा और फिर उसे पीना होगा। यह अक्सर एक मुश्किल काम होता है, क्योंकि जूतों से पानी पीना असुविधाजनक और स्वादिष्ट नहीं होता है।

जूतों से पीने की चुनौती कभी-कभी खेल के हिस्से के रूप में भी दी जाती है। उदाहरण के लिए, एक गेम शो में, खिलाड़ियों को अक्सर जूतों से पानी पीने के लिए मजबूर किया जाता है यदि वे एक सवाल गलत जवाब देते हैं।

जूतों से पीने की चुनौती आमतौर पर एक मजाक के रूप में ली जाती है, लेकिन यह कभी-कभी गंभीरता से भी ली जा सकती है। उदाहरण के लिए, यदि एक टीम के सदस्य को जूतों से पीने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह टीम के लिए एक अपमान माना जा सकता है।

जूतों से पीने की चुनौती एक विवादास्पद विषय है। कुछ लोग इसे एक मजेदार और मनोरंजक गतिविधि मानते हैं, जबकि अन्य इसे अपमानजनक और अपमानजनक मानते हैं।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम ने भी जूतों से पीकर जीत का जश्न मनाया है।

इस प्रथा को अक्सर “शूई – Shoey” कहा जाता है और इसे खिलाड़ियों के बीच भाईचारे और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। इस परंपरा की उत्पत्ति ऑस्ट्रेलियाई आउटबैक में हुई है, जहां इसे सीमित संसाधनों को साझा करने और सफल शिकार के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता था।

हाल के वर्षों में, शूई (Shoey) तेजी से लोकप्रिय हो गया है, जिसमें कई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर मैच जीतने के बाद इस परंपरा में भाग लेते हैं। कुछ सबसे उल्लेखनीय उदाहरणों में डैनियल रीडिकल शामिल हैं, जिन्होंने 2016 जर्मन ग्रांड प्रिक्स जीतने के बाद अपने रेसिंग बूट से पिया, और मिशेल मार्श, जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया के 2021 टी20 विश्व कप जीतने के बाद अपने जूते से पिया।

शूई को मिश्रित प्रतिक्रियाओं का सामना करना पड़ा है, कुछ लोगों को यह एक घृणित और अस्वच्छ प्रथा लगती है, जबकि अन्य इसे एक हानिरहित और यहां तक ​​कि हास्यपूर्ण तरीके से मनाने के लिए पाते हैं। किसी के भी विचार के बावजूद, इसमें कोई संदेह नहीं है कि शूई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट संस्कृति का एक हिस्सा बन गया है और आने वाले कई वर्षों तक इसका अभ्यास जारी रहने की संभावना है।

शूई का इतिहास (History of Shoey)

शूई की उत्पत्ति ऑस्ट्रेलियाई आउटबैक में हुई है, जहां इसे सीमित संसाधनों को साझा करने और सफल शिकार के लिए आभार व्यक्त करने का एक तरीका माना जाता था। कहा जाता है कि आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई लोग अक्सर शिकार के बाद अपने जूतों से खून या पानी पीते थे।

शूई ने 20वीं शताब्दी में ऑस्ट्रेलियाई सेना में लोकप्रियता हासिल की। सैनिकों ने अक्सर जंगल में या अन्य कठिन परिस्थितियों में अपने जूतों से पानी या अन्य पेय पदार्थ पीते थे।

2010 के दशक में, शूई ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के बीच लोकप्रिय हो गया। कई क्रिकेटरों ने मैच जीतने के बाद शूई किया है।

शूई का विवाद (Controversy of Shoey)

शूई को कुछ लोगों द्वारा एक घृणित और अस्वच्छ प्रथा माना जाता है। वे तर्क देते हैं कि जूते अक्सर गंदे और अस्वस्थ होते हैं, और उन्हें पीने से बैक्टीरिया और अन्य रोग पैदा करने वाले एजेंटों के संपर्क में आने का खतरा होता है।

दूसरी ओर, कुछ लोग शूई को एक हानिरहित और यहां तक ​​कि हास्यपूर्ण तरीके से मनाने के लिए मानते हैं। वे तर्क देते हैं कि यह एक संस्कृति का हिस्सा है, और इसे सम्मान के साथ किया जाना चाहिए।

शूई एक विवादास्पद प्रथा है जो ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट और संस्कृति का एक हिस्सा बन गई है। भविष्य में यह अभ्यास जारी रहेगा या नहीं, यह देखना बाकी है।

ऑस्ट्रेलियाई MotoGP राइडर जैक मिलर ने भी जूतों में बीयर पी

ऑस्ट्रेलियाई MotoGP राइडर जैक मिलर ने 2023 में एक रेस जीतने के बाद अपने जूतों में बीयर पी। यह घटना 2023 की MotoGP सीज़न की दूसरी रेस, स्पेनिश ग्रांड प्रिक्स में हुई थी।

मिलर ने रेस जीती और फिर अपने जूतों में बीयर डाली। उन्होंने बीयर को अपने जूतों से पी लिया। यह एक पारंपरिक ऑस्ट्रेलियाई प्रथा है जो जीत का जश्न मनाने के लिए की जाती है।

मिलर ने कहा कि वह बीयर पीकर खुश थे। उन्होंने कहा कि यह एक महान जीत थी और वे इसका जश्न मनाना चाहते थे।

मिलर की जीत ने उन्हें MotoGP सीज़न में शीर्ष पर रखा। वह इस सीज़न में जीतने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई राइडर बने।

मिलर के जूतों में बीयर पीने की घटना ने दुनिया भर में ध्यान आकर्षित किया।
इसे कई मीडिया आउटलेट्स द्वारा कवर किया गया था। यह एक लोकप्रिय घटना थी और लोगों ने मिलर की जीत और उनका जश्न मनाने का तरीका पसंद किया।

सैन्य परंपराओं में सदियों से जूतों से पीने का चलन (Military Traditions)

सैन्य परंपराओं में सदियों से जूतों से पीने का चलन रहा है। इस परंपरा की सटीक उत्पत्ति अज्ञात है, लेकिन माना जाता है कि यह प्राचीन ग्रीस या रोम में उत्पन्न हुई थी। इन संस्कृतियों में, एक सैनिक के जूते से पीना सम्मान और सद्भाव का प्रतीक माना जाता था।

जूतों से पीने की परंपरा मध्य युग में भी जारी रही, जहाँ इसे कई यूरोपीय सेनाओं ने अपनाया था। १६वीं शताब्दी में, इंग्लैंड में यह परंपरा लोकप्रिय हुई, जहाँ इसे अक्सर युद्ध की तैयारी कर रहे सैनिकों द्वारा अभ्यास किया जाता था।

१८वीं शताब्दी में, जूतों से पीने की परंपरा अमेरिका में फैल गई, जहाँ इसे अमेरिकी क्रांतिकारी युद्ध के दौरान महाद्वीपीय सेना ने अपनाया था। युद्ध के बाद, इस परंपरा को अमेरिकी सैनिकों द्वारा प्रचलित किया गया, और यह अंततः अमेरिकी सैन्य संस्कृति का एक हिस्सा बन गया।

आज भी, दुनिया भर में कुछ सैन्य इकाइयों में जूतों से पीने की परंपरा का पालन किया जाता है। हालांकि, यह अब उतना आम नहीं है जितना पहले हुआ करता था। कुछ मामलों में, परंपरा को अधिक आधुनिक रीति-रिवाजों से बदल दिया गया है, जैसे कि शैम्पेन या बीयर से टोस्ट करना।

सैन्य परंपराओं का इतने लंबे समय तक जूतों से पीना कई कारणों से हुआ है। एक कारण यह है कि यह सैनिकों के लिए एक-दूसरे के साथ बंधन बनाने और एक-दूसरे के समर्थन को दिखाने का एक तरीका है। दूसरा कारण यह है कि यह सैनिकों के लिए अपनी जीत का जश्न मनाने और अपने शहीद साथियों की याद दिलाने का एक तरीका है।

भले ही कोई भी कारण हो, जूतों से पीना एक अनूठी और स्थायी परंपरा है जो सदियों से सैन्य इतिहास का हिस्सा रही है। यह सैनिकों के बीच मौजूद भाईचारे और सद्भाव के बंधनों की याद दिलाता है, और यह उनके लिए अपने मृत साथियों के प्रति सम्मान दिखाने का एक तरीका है।

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