शारदीय नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा विधि इस प्रकार है:
पूजा की सामग्री:
- एक चौकी या थाली
- लाल कपड़ा
- मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर
- गंगाजल
- अक्षत
- रोली
- कुमकुम
- हल्दी
- धूप
- दीप
- फूल
- फल
- मिठाई
- भोग
- प्रसाद
- माला
- चंदन
- शंख
- घंटी
- मंत्र
पूजा का समय:
- सुबह 6:00 बजे से 7:00 बजे तक
- शाम 6:00 बजे से 7:00 बजे तक
पूजा विधि:
- सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करके गंगाजल से पवित्र करें।
- चौकी या थाली पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां कात्यायनी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- मां कात्यायनी को गंगाजल से अभिषेक करें।
- मां को अक्षत, रोली, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, फूल, फल, मिठाई, भोग, प्रसाद आदि अर्पित करें।
- मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
- मां का ध्यान करें और उनसे अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
- अंत में मां का आशीर्वाद प्राप्त करें।
मां कात्यायनी के मंत्र:
- मंत्र 1:
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। सिंहस्थिता पद्महस्ता कत्यायनी नमोऽस्तुते॥
- मंत्र 2:
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां। स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
- मंत्र 3:
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्। सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
मां कात्यायनी की आरती:
जय जय कात्यायनी, जय जगदम्बे। जय जय कात्यायनी, जय जगदम्बे। तुम ही हो अर्द्धांगी, शिव के अर्द्धांगी। तुम ही हो त्रिशूल धारी, तुम ही हो जगदम्बे।
कन्या रूप में तुमने, महिषासुर को मारा। दानवों का संहार किया, तुमने ही जगदम्बे।
तुम ही हो नवदुर्गा, तुम ही हो भवानी। तुम ही हो शैलपुत्री, तुम ही हो जगदम्बे।
तुम ही हो ब्रह्मचारिणी, तुम ही हो चंद्रघंटा। तुम ही हो कुष्मांडा, तुम ही हो जगदम्बे।
तुम ही हो स्कंदमाता, तुम ही हो कात्यायनी। तुम ही हो कालरात्रि, तुम ही हो जगदम्बे।
तुम ही हो महागौरी, तुम ही हो सिद्धिदात्री। तुम ही हो दुर्गा माता, तुम ही हो जगदम्बे।
जय जय कात्यायनी, जय जगदम्बे। जय जय कात्यायनी, जय जगदम्बे।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व:
- मां कात्यायनी को सफलता और यश की देवी कहा जाता है।
- उनकी पूजा करने से भक्तों को सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
- मां कात्यायनी की पूजा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
मां कात्यायनी का प्रिय भोग:
- मां कात्यायनी को शहद का भोग बहुत प्रिय है।
- इसके अलावा, उन्हें लाल फल, मिठाई, दूध, दही, चावल आदि भी अर्पित किए जा सकते हैं।