शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को भगवान कार्तिकेय की माता माना जाता है। स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही सुंदर और मनमोहक है। इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो में कमल के फूल हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल है और दूसरे हाथ में बाल रूप में भगवान कार्तिकेय विराजित हैं। स्कंदमाता का वाहन सिंह है।
5th शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:
- मां स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा
- कलश
- गंगाजल
- फूल
- माला
- अक्षत
- रोली
- कुमकुम
- धूप
- दीप
- नैवेद्य (फल, मिठाई, इत्यादि)
- आरती की थाली
- देवी दुर्गा के मंत्र
पूजा विधि:
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़कें।
- कलश की पूजा करें।
- मां स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा को स्थापित करें।
- मां को फूल, माला, अक्षत, रोली, कुमकुम, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
- देवी दुर्गा के मंत्रों का जाप करें।
- मां स्कंदमाता की आरती करें।
स्कंदमाता के मंत्र:
- या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
- ॐ स्कंदमातायै नम:।।
स्कंदमाता की आरती:
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता। सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
तुम हो अन्नपूर्णा माता, तुम ही हो जग की माता। तुम्हरी महिमा किसी ने ना जानी, तुम ही हो घट घट में रानी।
तुम ही हो दुर्गा माता, तुम ही हो भवानी। तुम ही हो जग की आश, तुम ही हो हमारी शान।
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता। सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी।
स्कंदमाता की पूजा का महत्व:
स्कंदमाता की पूजा से संतान प्राप्ति होती है। इनकी पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। स्कंदमाता की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।